RBI New Update: नवंबर 2016 में भारत सरकार ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का निर्णय लिया था जिससे ये नोट चलन से बाहर हो गए थे।
इसका उद्देश्य काले धन नकली मुद्रा और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना था सरकार ने नागरिकों को पुराने नोटों को बदलने या बैंक खातों में जमा करने के लिए 30 दिसंबर 2016 तक का समय दिया था लेकिन कुछ लोगों के लिए विभिन्न कारणों से समय सीमा के भीतर नोट बदलना संभव नहीं हो पाया।
हाई कोर्ट का नया आदेश
हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को निर्देश दिया कि वह कोल्हापुर के कुछ निवासियों के पास मौजूद 20 लाख रुपये के पुराने नोट स्वीकार करे यह मामला 2016 में आयकर विभाग द्वारा 26 दिसंबर को की गई छापेमारी से जुड़ा है जिसमें यह राशि जब्त कर ली गई थी बाद में 17 जनवरी 2017 को यह राशि याचिकाकर्ताओं को वापस की गई लेकिन तब तक नोट बदलने की समय सीमा समाप्त हो चुकी थी।
नागरिकों की कानूनी लड़ाई
याचिकाकर्ताओं ने जब आरबीआई से अपने पुराने नोट बदलने का अनुरोध किया तो उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि समय सीमा समाप्त हो चुकी है इसके बाद उन्होंने कोर्ट का रुख किया आरबीआई ने अपने बचाव में 2017 में लागू किए गए “निर्दिष्ट बैंक नोट (देयता समाप्ति) अधिनियम” का हवाला दिया जिसके तहत विमुद्रीकृत नोटों के धारकों को इन्हें बदलने के लिए उनकी क्रम संख्या प्रदान करनी होती है लेकिन याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि जब नोट जब्त किए गए थे तो अधिकारियों ने उनकी क्रम संख्या दर्ज नहीं की थी इसलिए यह उनकी जिम्मेदारी नहीं थी।
कोर्ट का फैसला
न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर और एम एम सथाये की खंडपीठ ने 27 फरवरी को याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया कोर्ट ने माना कि चूंकि नोटबंदी की समय सीमा के दौरान ये नोट याचिकाकर्ताओं के कब्जे में नहीं थे इसलिए उन्हें दंडित करना अनुचित होगा अदालत ने आरबीआई को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं को पुराने नोट जमा करने की अनुमति दे और एक सप्ताह के भीतर उन्हें नए नोट प्रदान करे ताकि उन्हें उनकी पूरी राशि मिल सके।
न्यायपालिका का संवेदनशील दृष्टिकोण
यह निर्णय उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो किसी कानूनी या प्रशासनिक बाधा के कारण नोटबंदी की समय सीमा में अपने पुराने नोट नहीं बदल पाए थे यह फैसला न्यायपालिका की संवेदनशीलता और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
नोटबंदी के बाद नकदी का चलन
नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान में भारी बढ़ोतरी देखी गई लेकिन इसके बावजूद नकदी का प्रचलन भी बढ़ा है 4 नवंबर 2016 को देश में 17.7 लाख करोड़ रुपये की नकदी प्रचलन में थी जो अक्टूबर 2021 तक बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गई इससे साफ जाहिर होता है कि भारत में अभी भी नकद लेन-देन का महत्व बना हुआ है।
भविष्य पर असर
यह फैसला भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल बन सकता है जहां नागरिक अनियंत्रित परिस्थितियों के कारण सरकारी नीतियों का पालन करने में असमर्थ रहे हों बॉम्बे हाई कोर्ट का यह आदेश केवल याचिकाकर्ताओं के लिए राहत लेकर नहीं आया बल्कि यह न्यायपालिका की संवेदनशीलता और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को भी दर्शाता है।
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